सैंकड़ों एकड़ में लहलहा रही नशे की खेती को नियंत्रित करने की लगातार मशक्कत कर रही है पलामू पुलिस : करीब सौ करोड़ का है यह कारोबार

सैंकड़ों एकड़ में लहलहा रही नशे की खेती को नियंत्रित करने की लगातार मशक्कत कर रही है पलामू पुलिस : करीब सौ करोड़ का है यह कारोबार

-- अरूण कुमार सिंह
-- 8 मार्च 2022

पलामू जिले की मनातू एवं छतरपुर पुलिस ने करीब 6 एकड़ में लगायी गयी पोस्ता की फसल को नष्ट किया है । यह फसल उनके थानाक्षेत्र के सुदूरवर्ती जंगली इलाके में अवैध रूप से लगायी गयी थी । पुलिस ने आसपास के ग्रामीणों को हिदायत देते हुए कहा है कि पोस्ते की खेती करने वाले व्यक्ति की बावत सत्यापन एवं पूछताछ के बाद उनपर एफआईआर दर्ज किया जाएगा ।

पुलिस ने ‌मनातू प्रखंड के डूमरी पंचायत अंतर्गत ग्राम गीताहर  टोला लाली माटी वनक्षेत्र में की गई लगभग 4 से 5 एकड़ पोस्ते खेती को नष्ट किया है ।‌ जबकि छतरपुर थाना क्षेत्र की पुलिस ने इसी थानाक्षेत्र के गुड़री गांव के जंगल में लगे करीब 20 कट्ठा में पोस्ता खेती को नष्ट किया है ।

ऐसा हर साल होता है, तब भी सैंकड़ों एकड़ में उगायी‌ जाती है पोस्ता की फसल

ऐसा हर साल होता है कि संबद्ध थाना की पुलिस दर्जनों एकड़ में लगायी गयी पोस्ते की फसल को नष्ट करती है । लेकिन अगले वर्ष से यह सिलसिला फिर शुरू हो जाता है ‌। ऐसा आजादी के कुछ सालों बाद से अब तक लगातार हो रहा है ‌। पलामू में बड़े पैमाने पर अवैध रूप से पोस्ता की खेती की जाती है । अफीम तस्कर ग्रामीणों को बहला-फुसला कर और लालच देकर पोस्ता की खेती कराते हैं । सिर्फ पलामू ही नहीं, चतरा और गया सीमा पर पोस्ता की खेती एक बड़ी समस्या है । पलामू के मनातू थाना क्षेत्र के कुंडीलपुर गांव में 2019-20 में 100 एकड़ से भी अधिक में लगे पोस्ता की फसल को नष्ट किया गया था ।

100 करोड़ से अधिक का है पोस्ता का कारोबार

पलामू, चतरा और गया जिला से सटे झारखंड और‌ बिहार‌ के सीमावर्ती इलाकों में पोस्ता की खेती का कारोबार पिछले एक दशक में लाखों से बढ़ कर 100 करोड़ से भी अधिक का हो गया है । हालांकि, इस अवैध धंधे के खिलाफ पुलिस अभियान लगातार जारी है ‌।‌ पोस्ता से अफीम तैयार करने वाले तस्करों का नेटवर्क बिहार, यूपी, दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और दक्षिण भारत के कुछ राज्यों तक फैल चुका है ।

ग्रामीणों को बहला फुसलाकर अफीम तस्कर करवाते हैं पोस्ता की खेती

पलामू के अतिनक्सल प्रभावित और सुदूरवर्ती इलाकों में अफीम तस्करों ने अपनी पकड़ मजबूत कर ली है । बताया जाता कि एक कट्ठा (लगभग चार डिसमिल) में पोस्ता की खेती के लिए तस्कर किसानों को 25 से 30 हजार रुपये देने का लालच देते हैं । फसल तैयार होने पर फसल को खराब बताकर ग्रामीणों को 10 से 15 हजार रुपये दे‌ दिया‌ जाता है । ग्रामीणों को खेती के लिए तस्कर बीज से लेकर हर चीज देते हैं । कुछ ग्रामीण ऐसे भी हैं जो स्वंय पोस्ता‌ की‌ खेती करते हैं ।

पोस्ता की खेती के लिए कुख्यात है मनातू का इलाका

पोस्ता की खेती के लिए मनातू थानाक्षेत्र का‌ इलाका कुख्यात है । पहले नक्सल प्रभावित इलाका होने का फायदा उठाकर तस्करों ने यहां बड़े पैमाने पर ‌पोस्ता की खेती करवायी थी जो धीरे धीरे आदत में बदल गयी । पलामू के मनातू, तरहसी, पिपराटांड़ और पांकी के क्षेत्रों में भी पोस्ता की खेती होती है । लेकिन छतरपुर थानाक्षेत्र में पोस्ता की खेती होने की खबर संभवतः पहली बार आयी है । इससे यह पता चलता है कि तस्कर अपने इलाके का विस्तार कर रहे हैं । 2015 के बाद से अब तक पुलिस करीब 2500 एकड़ से अधिक में लगी पोस्ता की फसल को नष्ट कर चुकी है । अभी तक 300 से अधिक ग्रामीणों पर एफआईआर भी दर्ज हुआ है । 40 से अधिक अफीम के इंटरस्टेट तस्कर भी गिरफ्तार हुए हैं । बावजूद यह अवैध धंधा नहीं रूका ।