28 करोड़ का मनरेगा घोटाला : 14 FIR :  7  डीसी 7 डीडीसी 9 डायरेक्टर 5 एक्जीक्यूटिव इंजीनियर 4 असिस्टेंट इंजीनियर और  5 कर्मचारी आरोपी : हाईकोर्ट ने कहा : ED को संबद्ध कागजात सौंपे

28 करोड़ का मनरेगा घोटाला : 14 FIR :  7  डीसी 7 डीडीसी 9 डायरेक्टर 5 एक्जीक्यूटिव इंजीनियर 4 असिस्टेंट इंजीनियर और  5 कर्मचारी आरोपी : हाईकोर्ट ने कहा : ED को संबद्ध कागजात सौंपे

रांची । वित्तीय वर्ष 2008-9, 2009-10, 2010-11 में चाईबासा में हुए करीब 28 करोड़ रुपए के मनरेगा घोटाले में चाईबासा में पुलिस ने 14 एफआईआर दर्ज की थी । चाईबासा में इस तीन वित्तीय वर्षों में मनरेगा कार्यों में अग्रिम राशि का भुगतान तो कर दिया गया था, लेकिन कोई काम धरातल पर नहीं हुआ था. उस समय चाईबासा के डीसी के श्रीनिवासन थे. बता दें कि चाईबासा में मनरेगा घोटाला की जांच को लेकर प्रार्थी ने वर्ष 2013 में जनहित याचिका दाखिल की थी । बाद में कोर्ट ने इस मामले को निष्पादित कर दिया था । इसके बाद प्रार्थी की ओर से वर्ष 2021 में फिर से जनहित याचिका दाखिल कर मामले की सीबीआई जांच की मांग की गई थी । बाद में एसीबी ने मामले में भी पीइ (प्रारंभिक जांच) दर्ज कर अनुसंधान भी शुरू किया था. लेकिन बाद में कोई कार्रवाई नहीं हुई ।

डीसी से लेकर क्लर्क तक आरोपी

चाईबासा मामले में राज्य मनरेगा कोषांग के विशेष कार्य पदाधिकारी दिवाकर चंद्र झा ने जांच रिपोर्ट में कहा था कि मस्टर रोल, एमबी बुक व स्टीमेट सरकार को नहीं सौंपना पुख्ता सबूत है कि एडवांस राशि का गबन हुआ है । उन्होंने डीसी, डीडीसी, डायरेक्टर, एक्सक्यूटिव इंजीनियर, चाईबासा में तैनात एक्सक्यूटिव इंजीनियर, असि. इंजीनियर व कर्मियों को दोषी ठहराया है । इस मामले में सात डीसी, सात डीडीसी समेत कई अन्य पर आरोप हैं ।

जिन 7 डीसी पर आरोप हैं उनमें एमपी मिश्रा, आरएस वर्मा, एमपी सिन्हा, सुनिल कुमार, के श्रीनिवासन, बीके मुंडा और ए सिद्दीकी पी शामिल हैं । जिन सात डीडीसी पर आरोप हैं उनमें गोसाई उरांव, राम बच्चन राम, सुरेश प्रसाद वर्मा, विष्णु कुमार, आभा कुसुम, बाल कृष्ण मुंडा और चंद्रशेखर प्रसाद हैं । जिन नौ डायरेक्टर पर आरोप हैं उनमें गोसाई उरांव, एसके किस्पोट्‌टा, पी उरांव, अवधेश उपाध्याय, एनकेपी सिंह, कामेश्वर प्रसाद, दिलीप तिर्की, बीके मुंडा और नरूल होदा शामिल हैं । जिन पांच एक्जीक्यूटिव इंजीनियर पर आरोप हैं उनमें नंद किशोर प्रसाद, विजय कुमार दास (दो कार्यकाल), लेवा मिंज, रामाशीष राम और जगदीश साह शामिल हैं । जिन चार असिस्टेंट इंजीनियर पर आरोप हैं उनमें पंकज कुमार झा, महेश प्रसाद, विशाल खलखो, प्रेम कुजूर और एक व्यक्ति का नाम शामिल है । जिन पांच कर्मचारियों पर आरोप हैं उनमें रामाकांत प्रधान, आशुतोष गोराई, के किशोर, हरी पुरती और एके मिश्रा शामिल हैं ।

हाईकोर्ट ने कहा : ED को संबद्ध कागजात सौंपें

झारखंड उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को निर्देश जारी किया है कि अगर ED चाईबासा में मनरेगा घोटाले मामले के अनुसंधान से संबंधित दस्तावेज की प्रतिलिपि की मांग करती है तो उसे शीघ्र उपलब्ध कराया जाये। इससे पहले ED की ओर से कोर्ट को बताया गया कि मामले में कई केस में एंटी करप्शन ब्यूरो  (ACB)  ने आरोप पत्र तो दाखिल कर दिया है, लेकिन आरोप पत्र की प्रतिलिपि राज्य सरकार द्वारा ED को मुहैया मिल रही है। इस पर कोर्ट ने सरकार को ED द्वारा मांगे जाने वाले दस्तावेज उपलब्ध कराने का निर्देश जारी किया। कहा कि ED अगर चाहे तो संबंधित कोर्ट से आरोप पत्र की सर्टिफाइड कॉपी भी निकाल सकती है। इससे पहले राज्य सरकार की ओर से स्टेटस रिपोर्ट में बताया गया कि ACB ने मामले में 14 प्राथमिकी दर्ज की है। इनमें से 10 केस में आरोप पत्र दाखिल हो चुके हैं। जबकि चार केस में अभी अनुसंधान जारी है। गौरतलब है कि पिछली सुनवाई में कोर्ट ने ACB में दर्ज 14 एफआईआर के संबंध में सरकार से पूछा था कि इन केस की वर्तमान में जांच की क्या स्थिति है। इस पर सरकार से जवाब मांगा गया था। इसे सरकार की ओर से मंगलवार को कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया गया था ।