पलामू प्रमंडल में अवैध खनन मुद्दे पर हलचल और तेज

पलामू प्रमंडल में अवैध खनन मुद्दे पर हलचल और तेज

-- अरूण कुमार सिंह

पलामू प्रमंडल क्षेत्र में हो रहे अवैध खनन मुद्दे पर हलचल और तेज हो गयी है । हाईकोर्ट में पंकज कुमार यादव ने जनहित याचिका दाखिल किया है । गत 14 मार्च को इस याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय मिश्रा की बेंच ने पलामू प्रमंडल में हो रहे अवैध खनन की जांच के लिए एसआईटी बनाकर जांच करने का निर्देश सरकार को दिया था । सरकार ने गत 31 मार्च को एसआईटी बनायी । इस तीन सदस्यीय विशेष कमिटी में अपराध अनुसंधान विभाग रांची के पुलिस महानिरीक्षक असीम विक्रांत मिंज, चतरा जिला के खनन पदाधिकारी सह हजारीबाग प्रमंडल के खान निदेशक गोपाल दास और भूतत्व विभाग चाईबासा के सहायक निदेशक अमरेन्द्र कुमार सिंह शामिल थे । यह टीम पलामू प्रमंडल में जांच के लिए कब आयी, इसकी कोई आधिकारिक सूचना नहीं है । लेकिन पिछले 10 से 13 मार्च तक इस टीम को इलाके में सक्रिय देखा गया था स्थलीय जांच के दौरान टीम ने स्थानीय लोगों, दर्जनों संबद्ध शिकायत कर्ताओं और मीडिया कर्मियों से दूरी बनाये रखी । हांलाकि टीम के साथ स्थानीय संबद्ध अधिकारी दिखे ।

इधर याचिकाकर्ता पंकज कुमार यादव ने कहा है कि इस मामले की अगली सुनवाई 17 अप्रैल को है । उनका कहना है कि वे जांच टीम की भूमिका पर कोई सवाल नहीं उठा रहे । लेकिन वे कोर्ट से प्रार्थना करेंगे कि कोर्ट इस जांच टीम की रिपोर्ट के अलावा महालेखाकार की आंतरिक ऑडिट की अंतरिम जांच रिपोर्ट को भी मंगाकर देख लें जिनकी टीम पलामू प्रमंडल में खनन मामले पर पिछले 6 महीने से काम कर रही है । साथ ही उन्होंने कहा कि एसआईटी की टीम अगर अवैध खनन से पीड़ित और प्रभावित लोगों से संपर्क साधते और अपना फोन और ईमेल आईडी जारी करते तो उन्हें अधिक से अधिक संबद्ध शिकायतें प्राप्त होतीं और वे वस्तुस्थिति से रूबरू होते । पंकज ने कहा कि जबसे टीम बनी है, उस वक्त से अब तक उन्हें अवैध खनन से संबद्ध दर्जनों शिकायतें और वीडियो प्राप्त हुए हैं जो वे कोर्ट को सौंपेंगे । उन्होंने कहा कि अगर एसआईटी पब्लिकली रहती तो यह शिकायतें उन्हें प्राप्त होती !

पलामू के वैध माईंस और क्रसरों में ही सबसे अधिक होता है अवैध कारोबार

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक गढ़वा जिले में 9 माईंस और 35 क्रसर, पलामू में जिले में 47 माईंस और 139 क्रसर तथा लातेहार जिले में 5 माईंस और 10 क्रसर हैं । अर्थात् कुल मिलाकर पलामू प्रमंडल क्षेत्र में 61 पत्थर माईंस, 184 वैध क्रसर हैं । यह बात संबद्ध अधिकारी भी मान चुके हैं कि सबसे अधिक सरकारी राजस्व का गोलमाल वैध कहे जानेवाले पत्थर माईंस और क्रसरों के जरिये ही होता है । सरकारी अधिकारियों ने भी इसे 'वैध में अवैध' कहकर संबोधित किया है । इनके अलावा 88 अवैध बालू घाट हैं जहां से हर दिन करोड़ों रूपयों की हेराफेरी हो रही है । यहां के लोग हरेक माईंस और हरेक क्रसर की जांच चाहते हैं ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके । जानकारों और भुक्तभोगियों का कहना है कि यहां वैध कहे जानेवाले करीब 85% लीज गलत तरीके से, गलत रिपोर्ट पर और सरकारी नियम को ताक पर रखकर आबंटित किये गये हैं ।

पत्थर कारोबारी इस जांच को अंतिम मान रहे, जानकारों का कहना है कि बात दूर तलक जाएगी

अवैध खनन मामले में सबकी निगाह हाईकोर्ट पर है । एसआईटी की रैंडम जांच ने पत्थर कारोबारियों को थोड़ा सुकून दिया है ‌। लेकिन मामला यहीं तक सीमित नहीं है । पलामू के खनन व्यवसाय पर अब पूरे देश की नजर है । देश स्तर के कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और अर्थशास्त्रियों ने इस विषय पर कां करना शुरू कर दिया है । उनका कहना है कि फिलहाल वे कोर्ट की संबद्ध कार्रवाई की प्रतीक्षा करेंगे । यह विषय ईडी के संज्ञान में पहले से ही है ।

हुसैनाबाद के मधेया पहाड़ को बचाने के लिए 57 वें दिन भी धरना जारी

पलामू जिले के हुसैनाबाद थानाक्षेत्र के मधेया पहाड़ को बचाने के लिए स्थानीय लोगों द्वारा जारी अनिश्चित कालीन धरना 57 वें दिन भी जारी रहा । मधेया पहाड़ के आसपास 6 पत्थर माईंस आबंटित है । स्थानीय लोगों का आरोप है कि सभी लीज सरकारी नियमों को ताक पर रखकर और झूठे रिपोर्ट पर आबंटित किये गये हैं । पिछले कई वर्षों से ग्रामीणों द्वारा जांच की मांग की जा रही है । ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन इस कदर संवेदनहीन हो चुका है कि इतने दिनों के धरना के बाद भी जिला के कोई संबद्ध अधिकारी मामले की बावत जानने तक के लिए धरना स्थल पर नहीं आये हैं । ग्रामीणों का कहना है कि पर्याप्त जांच और कार्रवाई होने तक उनका अनिश्चित कालीन धरना जारी रहेगा ।

छतरपुर में अवैध खनन पर नहीं लग पाया विराम

छतरपुर में वनक्षेत्र से अवैध खनन का सिलसिला बदस्तूर जारी है । सिलदाग, चेराईं, हुटुकदाग, रूदवा और कवल पंचायत में वनक्षेत्र में अवस्थित कई पहाड़ियां अवैध खनन के कारण तबाह हो चुकी हैं । वन विभाग की सक्रियता अब भी इस मामले में कहीं नहीं दिखती ‌। छतरपुर अनुमंडल क्षेत्र के करीब 5 दर्जन क्रसरों के पास अपना लीज नहीं है । अधिकारियों का कहना है कि वे वैध लीजधारी से पत्थर खरीदते हैं । अगर सचमुच ऐसा है तो दर्जनों पहाड़ियों में लगातार जारी अवैध पत्थर तुड़ाई बंद हो जाने चाहियें थे !