गांव-गांव, घर-घर में सर्दी-खांसी-बुखार : अगर यह कोरोना ही है तो संभाल लीजिए सरकार

गांव-गांव, घर-घर में सर्दी-खांसी-बुखार : अगर यह कोरोना ही है तो संभाल लीजिए सरकार


-- अरूण कुमार सिंह
-- 9 जनवरी 2022

भारत सहित दुनिया के तमाम देशों में ओमिक्रॉन वैरिएंट का कहर जारी है। इस वैरिएंट से वो लोग भी संक्रमित हो रहे हैं, जिनको वैक्सीन की दोनों डोज लग चुकी हैं। अध्ययनों से पता चलता है कि ओमिक्रॉन वैरिएंट में 35 से ज्यादा म्यूटेशन देखे गए हैं जो इसे कोरोना का सबसे संक्रामक वैरिएंट बनाती है । स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक सभी लोगों को इससे बचाव के लिए लगातार कोविड एप्रोप्रिएट बिहेवियर का पालन करते रहना चाहिए, इसमें बरती गई कोई भी लापरवाही आपमें संक्रमण के खतरे को बढ़ा सकती है।

ओमिक्रॉन के बढ़ते मामलों को देखते हुए कहा जाने लगा है कि देश में कोरोना की तीसरी लहर ने प्रवेश कर लिया है । शुक्र है कि वैरिएंट से संक्रमण के मामले अभी हल्के हैं । फिर भी लोगों को विशेष सतर्कता बरतते रहने की आवश्यकता है ।

गांव-गांव, घर-घर में सर्दी-खांसी-बुखार : अगर यह कोरोना ही है तो संभाल लीजिए सरकार

गांव-गांव में सर्दी-खांसी-बुखार ने कहर मचा रखा है । गांव का हर पांचवां व्यक्ति बीमार है ‌। अगर यह कोरोना हो सकता है तो हमें सावधान होना चाहिए । बीमार लोग टेस्ट नहीं करवा रहे, यह बहुत खतरनाक स्थिति है । सरकारी महकमे को संजीदा होना पड़ेगा । भीड़-भाड़ वाले आयोजनों पर रोक लगानी चाहिए । हर बीमार व्यक्ति को टेस्ट कराने के उपाय करने चाहियें ।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक हमारी कुछ सामान्य सी गलतियां और गलतफहमियां संक्रमण का खतरे को बढ़ा देती हैं। यही कारण है कि पिछले कुछ दिनों के रोजाना के आंकड़ों में तेज उछाल देखने को मिल रहा है ।

पहले संक्रमण हो चुका है तो अब दोबारा खतरा नहीं है, इस बात में है कितनी है सत्यता ?

महामारी रोगों के विशेषज्ञ डॉ दीपक सक्सेना बताते हैं, अक्सर लोगों में यह गलतफहमी देखने को मिलती है कि अगर वह पहले कोरोना से संक्रमित रह चुके हैं तो आगे उन्हें संक्रमण का खतरा नहीं है। पहले से संक्रमण की स्थिति में निश्चित रूप से शरीर में प्रतिरक्षा विकसित होती है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आपको फिर से संक्रमण का खतरा नहीं है।

वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट तो यह कहती है कि जिन लोगों को पहले कोविड हो चुका है उनमें ओमिक्रॉन के संक्रमण का खतरा अधिक हो सकता है। इसके अलावा अध्ययनों से पता चलता है कि प्राकृतिक प्रतिरक्षा करीब 3-4 महीने तक बनी रह सकती है, ऐसे में खतरा सभी के लिए है । तो, स्थिति बेकाबू हो, इसके पहले हम भी सावधान हो जायें ।