यहां है नरक का दरवाजा : इसे बंद करने की योजना बनायी जा रही है

यहां है नरक का दरवाजा : इसे बंद करने की योजना बनायी जा रही है


-- समाचार डेस्क
-- 9 जनवरी 2022

सोवियत संघ का हिस्सा रहे सेंट्रल एशियाई देश तुर्कमेनिस्तान के उत्तर में एक बड़ा सा गड्ढा मौजूद है, जिसे ‘नरक का दरवाजा’ कहा जाता है । तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति गुरबांगुली बर्दीमुहामेदोव ने कहा है कि वह इसे बंद करने की योजना बना रहे हैं ।

पेशे से डेंटिस्ट रह चुके राष्ट्रपति ने अपने मंत्रियों को दुनियाभर के उन विशेषज्ञों को खोजने का आदेश दिया है, जो आधी सदी से आग से धधक रहे इस विशाल गड्ढे को बंद कर सकते हैं । ये गड्ढा यहां पहले से नहीं था, बल्कि साल 1971 से है । इसके पीछे का कारण सोवियत संघ को माना जा रहा है । यानी आग को धधकते हुए 51 साल का वक्त हो गया है ।

दूसरे विश्व युद्ध के बाद उसके आर्थिक हालात ठीक नहीं थे । तब सोवियत संघ के भूवैज्ञानिक काराकुम के रेगिस्तान में कच्चे तेल के भंडार की तलाश करने के लिए आए थे । वो इसमें सफल भी हुए और यहां उन्हें जगह-जगह प्राकृतिक गैस के भंडार मिले । कभी इस खोज के दौरान जमीन धंस और तीन बड़े गड्ढे हो गए । इनसे मिथेन गैस के रिसने का खतरा था जो वायुमंडल में घुल सकती थी । इसे रोकने के लिए एक गड्ढे में आग लगा दी गई । सोचा कि गैस खत्म होने पर ये आग अपनेआप बुझ जाएगी । लेकिन ऐसा हो नहीं सका । हालांकि ये कहानी कितनी सच है, इससे जुडे़ कोई सबूत नहीं हैं ।

इस डरावने 230 फीट चौड़े गड्ढे में आज भी आग धधक रही है, जिसे मीलों दूर से देखा जा सकता है । इसे ‘गेट्स ऑफ हेल’ के अलावा ‘माउथ ऑफ हेल’ यानी नरक का मुंह भी कहा जाता है और यह देश की राजधानी अश्गाबात से लगभग 160 मील उत्तर में स्थित है ।

मानवाधिकारों के हनन और विरोधियों को कुचलने के आरोप झेल रहे बर्दीमुहामेदोव ने अधिकारियों को लगातार आग से होने वाले पर्यावरणीय नुकसान को रोकने का आदेश दिया है ।  उन्होंने चेतावनी दी कि दशकों से जल रही आग से स्थानीय लोगों का स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है ।

नरक का ये दरवाजा पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहा है. दुनियाभर से लोग इसे देखने आते हैं. हालांकि इसे बंद करने में सफलता मिल पाती है या नहीं, ये बात वक्त पर ही पता चलेगी. ऊपर बताई गई कहानी के अलावा तुर्कमेनिस्तान के भूवैज्ञानिकों का ऐसा भी मानना है (Fire in Gates of Hell) कि ये विशाल गड्ढा 1960 के दशक से ही था लेकिन इसमें आग 1980 के दशक में लगनी शुरू हुई.